एक छोटा सा बच्चा था, हर बात माँ को बताता था
कभी हँसता था कभी रोता था
माँ के आँचल को दुनिया समझता था ।
बच्चा धीरे धीरे बड़ा हुआ, अपने पैरों पे खड़ा हुआ
जब वो घर आता, माँ के संग खूब समय बिताता
ऑफिस में क्या क्या हुआ , माँ को बताता
समय बढ़ता गया, बेटा माँ की सेवा करता गया
फिर माँ ने करा दी, बेटे की शादी ।
माँ की आँखों से ख़ुशी के आंसू बह रहे थे
शादी के बाद बेटा बहू मिलके माँ की सेवा कर रहे थे
बेटा अब जब ऑफिस से घर आता था
माँ से प्यार से बातें करता और पैर दबाता था ।
अब ये मत सोचो कि कविता के अंत में माँ को रुलायेंगे
माँ को खाना बनाने छोड़ बेटा बहू पिक्चर जायेंगे
ये हैप्पी एंडिंग वाली कविता है, इसे ऐसे ही चलने दो
हमेशा गलत मत सोचो, उन लोगों को खुश रहने दो
ये एक अच्छा बच्चा है, ऐसे बच्चे हर माँ को मिलें
कोई जरूरी नहीं कि सारे बच्चे नालायक निकलें।
नीरज त्रिपाठी
true that it is not necessary that all children will make their mom cry…
i ❤ u mom
सही कहा कुंज जी आपने… कुछ लोग हम जैसे भी हैं 🙂
Yatharta ke gyan se aap paripurd ho bhai