हिडेन कैमरा

गलती हमने मान ली, पकड़ रहे हैं कान
कमरे में है कैमरा, थे इससे अन्जान
थे इससे अन्जान, नहीं तो कभी न लेते
पहले ही गोदाम तिजोरी, भरे हुए थे
ढूंढ रहे हैं काट, कैमरे की सब नेता
जाने कब किसे बनाए, मीडिया चहेता

नीरज त्रिपाठी

पैसों के पेड़

विश्वभ्रमण की लालसा, लेकर हुए अधेड़
काश हमारे पास हों, पैसों के कुछ पेड़
पैसों के कुछ पेड़, नैन कजरारे गायें
कटरीना संग अमरीका का टिकट कटाएँ
अँग्रेजी गानों को गाते, डिस्को जाते
पचपन में बचपन के लम्हे, बहुत सताते

नीरज त्रिपाठी

चप्पल प्रेम

चप्पल की इच्छा जगी, खोया दिल का चैन
चप्पल लाने के लिए, भेज दिया इक प्लेन
भेज दिया इक प्लेन, पैर मेरा प्यारा सा
मेरे आगे फीकी हैं, उर्मिला बिपाशा
सभी हिरोईनों पे, मैं पड़ती हूँ भारी
मेरे ठुमकों से डोलें, सरकारें सारी

ऊपर की पंक्तियाँ वास्तविक घटनाओं पे आधारित है ॥ किसी काल्पनिकता से इसका मिलाप महज एक संयोग है ।

नीरज त्रिपाठी

परीक्षाभवन

शिक्षक दिवस के अवसर पर एक कविता याद आ गयी

परीक्षाभवन

परीक्षाभवन में आज फिर होने लगा आत्ममंथन मेरा
काश कुछ पढ़ा होता याद कुछ करा होता

प्रश्नपत्र देखते ही मेरा सर चकरा गया
पढ़ी थी अमोनिया, फास्फोरस आ गया

छात्र एकता संकल्प हमारा है
आज तो बस नकल का ही सहारा है

मैंने सोचा पानी पीने जाता हूँ
वहीं इधर उधर से दो चार पर्ची ले आता हूँ

मैंने पूछा सर पानी पीने जाऊँ
सर बोले ज्यादा प्यासे हो तो पानी वाले को यहीं बुलाऊँ
कैसे दूँ मैं गुरु को झांसा मेरा मन पर्ची का प्यासा

हाय कितने सख्त शिक्षक रूम में पड़े हैं
आधे घंटे से मेरे ही सर पे खड़े हैं

मैंने सर को भोलेपन से देखा और ब्रह्मास्त्र फेंका
सर पिछले कुछ दिनों से मेरी तबीयत खराब रही है
इधर बहुत गर्मी लग रही है
सर मेरे साथ थोड़ी रियायत कीजिये
मुझे उस पंखे के नीचे बिठा दीजिये

सर बोले उधर का पंखा तो और भी धीरे चल रहा है
उधर बैठे बच्चों के देखो कितना पसीना निकल रहा है
तुम मेरी कुर्सी पे आओ समय निकल रहा है

कुछ छात्र तो उत्तर लिख रहे थे
लेकिन अधिकतर परेशान दिख रहे थे

तभी एक छात्र बोला
सर इतनी सख्ती, क्या ये सही है
ऐसे माहौल में बहुत परेशानी हो रही है

गुरु जी बोले मैं नकल नहीं करने दूँगा
गर्दन हिली तो कॉपी छीन लूँगा

सर ये आप कर क्या रहे हैं,
परीक्षा का इस तरह मखौल मत उड़ाइए
जाइए थोड़ा पान वान खाकर आइये

हमारे उतरे हुए चेहरे देख गुरुजी मंद मंद मुस्काने लगे
और अपनी जेब से पान की पुड़िया निकाल वहीं पान खाने लगे

लगता है आज मैं अपने शाकाहारी व्रत को बचा नहीं पाऊँगा
अपने जीवन का प्रथम अंडा इसी प्रश्नपत्र में खाऊँगा

शायद ये मेरे पिछले कुकर्मों का हिसाब है
आज भाग्य भी कुछ ज्यादा ही खराब है

अंततः मैं बोला ठीक है सर इजाजत दीजिये
बहुत हुआ अब मेरी कॉपी जमा कर लीजिये

इस घटना के दो महीने बाद,
पिताश्री अपनी अभिव्यक्तियों को मुझ पर वार रहे थे
मेरे ही भीगे जूतों से मेरे केश संवार रहे थे॥

मेरे जैसे सभी परीक्षार्थियों के साथ सहानुभूति सहित

आपका
नीरज त्रिपाठी

पैसा वसूली

डरें लोग सब आपसे , कीजे जतन उपाय
दूध फलन को चापकर, लीजे बदन बनाय
लीजे बदन बनाय, डरें कल्लू औ गामा
घूर अगर दें आप , सरक जाये पैजामा
दस बारह टपकाइए , हो जायेगा नाम
बैठ वसूली कीजिये , धन आएगा धाम

नीरज त्रिपाठी

लद्धडों को ए ग्रेड

लेखक बिना लगाम के, भागें डी के बोस
उल्टा सीधा लिख रहे, सेंसर है खामोश
सेंसर है खामोश , न जाने क्या मजबूरी
ए ग्रेड दे दिया, हो गयी ड्यूटी पूरी
जो विद्द्यालय में डी से ऊपर, पा न पाए
सेंसर से ए ग्रेड मिला, झूमे हर्षाए

नीरज त्रिपाठी

भ्रष्टों की लंका

लोकपाल बिल से हुआ , उनका खस्ता हाल
आखिर अब कैसे सजे , चोरों की चौपाल
चोरों की चौपाल , कि कैसे लूटें खाएं
भ्रष्टों की लंका में, अन्ना आग लगाएँ
स्विस बैंक में जिनके खाते, इठलाते हैं
लोकपाल सुन उनको, चक्कर आ जाते हैं

नीरज त्रिपाठी

सरकार का जवाबी अनशन

लोहे से लोहा कटता है , हम अनशन से अनशन को काटेंगे

इस ऐलान के साथ ही सरकार ने ,
अनशनकारी नेताओं की एक टोली तैयार की
नवनिर्वाचित टोली ने अन्ना बाबा पर,
कर्णप्रिय शब्दों की बौछार की

पहले बाबा का नाटक, फिर अन्ना की नौटंकी
कर लो कितने भी अनशन, सरकार करेगी अपने मन की

हमें अंग्रेज़ मत समझना जो अनशन से डर जाएंगे
अगर बातों से न माने, तो डंडों से समझाएँगे

बंद कमरे में नेताओं की आपस में बात हुई
और दोपहर के भरपेट भोजन के बाद अनशन की शुरुआत हुई

फिर वे सब गद्दियों पर लेटे सुस्ताने लगे
और किसने किसने क्या क्या खाया आपस में बताने लगे

एक बोला मैं सात पल और कई बिजली संयंत्र खा गया
दूसरे ने कहा वो बुलेटप्रूफ जैकेट और कई तोपें दबा गया

वो अपने अपने कारनामों को बेशर्मी से बताने लगे
और अपनी परिपक्व पाचनशक्ति से प्रभावित हो सब तालियाँ बजाने लगे

अभी अनशन को पाँच घंटे ही बीते हैं और पेट की हर आंत अकड़ गयी है
क्या बताएं खाने की कुछ ऐसी आदत सी पड़ गयी है

तभी एक बोला,
तुम लोगों ने तो कुछ भी नहीं खाया,
अगर मैं मौका पाऊँगा
तो मेरे भाई मैं पूरे का पूरा देश खा जाऊंगा

देश खाने की योजना सुन उन सबकी आँखों में चमक आ गयी
और इनकी देशभक्ति देख,
माँ भारती का कंठ सूखा, हृदय रोया और आँखें छलछला गईं ।

नीरज त्रिपाठी

ईमानदार मत बनो

आजकल बड़े बड़े घोटाले होते हैं | मैं सोच रहा था कि जो महापुरुष ये सब कर रहे हैं उनकी पाठ्य पुस्तकें कैसी होती होंगी |
नीचे वाली कविता शायद पढ़ी होगी उन लोगों ने ….

अगर नहीं है अपना घरौंदा
तो कब्ज़ा करके रहो
किरायेदार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों
ईमानदार मत बनो

लूटो खाओ मौज करो
बेईमानी जिंदाबाद
ईमानदारी के जहर से
मत करो जहाँ बर्बाद

एक बार उतरो तो सही
बेईमानी के सागर में
डूब जाने का मन करेगा
सारे जहाँ की दौलत
लूट लाने का मन करेगा

महाजनः येन गतः सह पन्थाः
ज्यादातर बेईमानी की ओर जा रहे हैं
तुम अकेले सत्य के साहूकार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों ईमानदार मत बनो

दूध फल खाओ घी पियो
चार दिन की जिंदगी है शान से जियो
खाली हाथ आये हैं खाली हाथ जाना है
ईमानदारी में मिला तमगा साथ नहीं जाना है

इसीलिए कहता हूँ
सत्य के साहूकार मत बनो
इंसानियत के ठेकेदार मत बनो
मेरे प्यारे दोस्तों
ईमानदार मत बनो

विजयदशमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें

त्रेता युग में राम ने , दिया दशानन मार

कलियुग में श्री राम बिन , कैसे हो उद्धार

कैसे हो उद्धार , प्रभु फिर से अवतारो

रावण हैं चहुँ ओर , ज्ञान दे हमें सुधारो

दर्शन दो भगवान् बनाओ हमें विजेता

कलियुग का कर अंत , लाओ फिर सतयुग त्रेता